लेखनी प्रतियोगिता -08-Nov-2022 विचलित मन
विचलित मन
सुलगता तन
आक्रोशित जन
बहुत नुकसान करते हैं
अधूरी बात
बहकते जजबात
अनजाना साथ
बहुत परेशान करते हैं
सूनी राहें
बेचैन निगाहें
लरजती बाहें
बहुत हैरान करते हैं
अधूरा ज्ञान
रूप का मान
सत्ता का अभिमान
कभी ना कल्याण करते हैं
श्री हरि
8.11.22
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Swati chourasia
09-Nov-2022 10:54 AM
बहुत खूब
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Abhinav ji
09-Nov-2022 09:19 AM
Nice
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Punam verma
09-Nov-2022 08:09 AM
Very nice
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